आज यूं ही मुझे अकेला नहीं छोड़ के गई होती। आज यूं ही मुझे अकेला नहीं छोड़ के गई होती।
होते एक-दूजे के जज़्बात होते एक-दूजे के जज़्बात
मेरा पूरा सा संकल्प, क्यों अधूरा सा लगता है। ना चाहते हुए भी, ख़ुशी ग़म सा लगता है। मेरा पूरा सा संकल्प, क्यों अधूरा सा लगता है। ना चाहते हुए भी, ख़ुशी ग़म सा लग...
बदलेगी क्या इस उम्र में मेरी चालढ़ाल ? उफ क्यूँ फिर आ गया ये नया साल ! बदलेगी क्या इस उम्र में मेरी चालढ़ाल ? उफ क्यूँ फिर आ गया ये नया साल !
शिकवे और शिकायत तो हर रिश्ते में होती है। शिकवे और शिकायत तो हर रिश्ते में होती है।
अब अपने नाम का सिक्का जमाना चाहता हूँ मैं। अब अपने नाम का सिक्का जमाना चाहता हूँ मैं।